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Durga Chalisa Lyrics – नमो नमो दुर्गे सुख करनी दुर्गा चालीसा ( अनुराधा पौडवाल )

 Durga Chalisa Lyrics in Hindi



नमो नमो दुर्गे सुख करनी,
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी,
तिहूँ लोक फैली उजियारी ।

शशि ललाट मुख महाविशाला,
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ।
रूप मातु को अधिक सुहावे,
दरश करत जन अति सुख पावे ।

तुम संसार शक्ति लै कीना,

पालन हेतु अन्न धन दीना ।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला,

तुम ही आदि सुन्दरी बाला ।


प्रलयकाल सब नाशन हारी,

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें,

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ।


रूप सरस्वती को तुम धारा,

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ।

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा,

परगट भई फाड़कर खम्बा ।


रक्षा करि प्रह्लाद बचायो,

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ।

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं,

श्री नारायण अंग समाहीं ।


क्षीरसिन्धु में करत विलासा,

दयासिन्धु दीजै मन आसा ।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी,

महिमा अमित न जात बखानी ।

मातंगी अरु धूमावति माता,

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।

श्री भैरव तारा जग तारिणी,

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।


केहरि वाहन सोह भवानी,

लांगुर वीर चलत अगवानी ।

कर में खप्पर खड्ग विराजै,

जाको देख काल डर भाजै ।


सोहै अस्त्र और त्रिशूला,

जाते उठत शत्रु हिय शूला ।

नगरकोट में तुम्हीं विराजत,

तिहुँलोक में डंका बाजत ।


शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे,

रक्तबीज शंखन संहारे ।

महिषासुर नृप अति अभिमानी,

जेहि अघ भार मही अकुलानी ।


रूप कराल कालिका धारा,

सेन सहित तुम तिहि संहारा ।

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब,

भई सहाय मातु तुम तब तब ।


अमरपुरी अरु बासव लोका,

तब महिमा सब रहें अशोका ।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी,

तुम्हें सदा पूजें नरनारी ।

प्रेम भक्ति से जो यश गावें,

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ।

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई,

जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ।


जोगी सुर मुनि कहत पुकारी,

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ।

शंकर आचारज तप कीनो,

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ।


निशिदिन ध्यान धरो शंकर को,

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ।

शक्ति रूप का मरम न पायो,

शक्ति गई तब मन पछितायो ।


शरणागत हुई कीर्ति बखानी,

जय जय जय जगदम्ब भवानी ।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा,

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ।


मोको मातु कष्ट अति घेरो,

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ।

आशा तृष्णा निपट सतावें,

मोह मदादिक सब बिनशावें ।


शत्रु नाश कीजै महारानी,

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ।

करो कृपा हे मातु दयाला,

ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ।

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ,

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ।

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै,

सब सुख भोग परमपद पावै ।


देवीदास शरण निज जानी,

कहु कृपा जगदम्ब भवानी ।


।। दोहा ।।

शरणागत रक्षा करे,

भक्त रहे नि:शंक,

मैं आया तेरी शरण में,

मातु लिजिये अंक ।


।। इति श्री दुर्गा चालीसा ।।

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